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एक नई सोच की शुरुआत

यह वेबसाइट उन सभी के लिए है जो जीवन के संघर्षों और सफलताओं को गहराई से समझना चाहते हैं। ‘बेबस मन का देहांत’ सिर्फ एक ईबुक नहीं है, यह एक प्रेरणादायक सफर है जो आपको अपने अंदर छिपी ताकत को पहचानने और जीवन की कठिनाइयों का सामना करने की सीख देती है।

हमारा उद्देश्य है कि इस कहानी के माध्यम से हर पाठक को अपनी खुद की यात्रा में आशा, हिम्मत और एक नई दिशा मिले। चाहे आप खुद को प्रेरित करना चाहते हों या किसी और को, यह ईबुक आपके जीवन को बेहतर बनाने का पहला कदम है।

लेखक की कहानी (Author’s Story)

कभी-कभी जीवन ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देता है, जहाँ शब्द कम पड़ जाते हैं और भावनाएँ हावी हो जाती हैं। “बेबस मन का देहांत” सिर्फ एक किताब नहीं, बल्कि एक माँ के दर्द, संघर्ष और आत्मचिंतन की कहानी है।

13 नवंबर 2023 – वह काली रात, जो दीपावली की खुशियों के साथ आई, लेकिन मेरे जीवन से रोशनी छीन ले गई। मेरा 22 वर्षीय बेटा, कर्मवीर रौशी, जो हंसता, खेलता, आगे बढ़ता जा रहा था, अचानक चिरनिद्रा में सो गया। मैं कुछ समझ पाती, इससे पहले ही सृष्टि ने उसे मुझसे छीन लिया।

उस क्षण को शब्दों में बयां करना असंभव है, लेकिन जब मन की वेदना असहनीय हो गई, तो मैंने अपनी भावनाओं को कलम के सहारे अभिव्यक्त करना शुरू किया। यह किताब उसी पीड़ा, संघर्ष और आत्मशक्ति का परिणाम है। यह सिर्फ मेरी कहानी नहीं, बल्कि उन सभी लोगों की कहानी है, जिन्होंने जीवन में अपनों को खोने का दर्द सहा है।

“बेबस मन का देहांत” सिर्फ एक किताब नहीं, बल्कि जीवन के उतार-चढ़ाव और उनके साथ जीने की सीख देने वाली एक कोशिश है। अगर यह किताब किसी टूटे हुए दिल को थोड़ा सा भी सुकून दे पाए, तो मेरा लेखन सार्थक हो जाएगा।